योगी 2.0 कैबिनेट ने सियासी पंडितों को चौंका दिया। कई ऐसे नाम जिनकी बहुत चर्चा थी, उनको कैबिनेट में जगह ही नहीं मिली। इनमें सबसे अहम नाम आईपीएस की नौकरी छोड़ने वाले राजेश्वर सिंह का रहा है। उन्होंने प्रदेश की सबसे हॉट सीट सरोजनीनगर से चुनाव लड़कर जीते थे। इतना ही नहीं, कई ऐसे नाम हैं जिनको मंत्रिमंडल में जगह मिलना सरप्राइजिंग रहा है। जब लखनऊ के इकाना स्टेडियम में इनके नाम शपथ के लिए लिया गए तो वहां बैठे विधायक भी सरप्राइज रह गए।
पहले 5 उन नामों की बात, जिनका मंत्रिमंडल में शामिल होना चौंकाने वाला रहा...
1: दानिश आजाद: 32 साल की उम्र में बने मंत्री
योगी की पिछली कैबिनेट में एक मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा को जगह मिली थी। इस बार मोहसिन को ड्रॉप करके 32 साल के दानिश आजाद अंसारी को राज्य मंत्री बनाया गया है। दानिश ने न तो कोई चुनाव लड़ा है न ही वे किसी सदन के सदस्य हैं। उनका नाम कहीं भी दूर-दूर तक नहीं था। साल 2019 में दानिश आजाद ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक लेटर भी लिखा था। उन्होंने पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था।
2-जेपीएस राठौर: आईआईटी बीएचयू से बीटेक व एमटेक
जेपीएस राठौर ने भी कैबिनेट में जगह बनाई है। राठौर को राज्यमंत्री बनाया गया है। वह अभी प्रदेश महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष थे।जेपीएस राठौर ने भी कैबिनेट में जगह बनाई है। राठौर को राज्यमंत्री बनाया गया है। वह अभी प्रदेश महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष थे। राठौर ने आईआईटी बीएचयू से एमटेक किया है। इस चुनाव में जेपीएस के पास पश्चिम यूपी का जिम्मा था। किसान के विरोध के बावजूद वहां पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि 2024 के लिहाज से उनको मंत्री बनाया गया है। फिलहाल, सियासी गलियारे में उनके नाम की दूर-दूर तक चर्चा नहीं थी।
3-डॉ. अरुण कुमार सक्सेना: दिग्गजों को पछाड़कर मंत्री बने
विधायक डॉ. अरुण कुमार सक्सेना को भाजपा ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया है। वह योगी सरकार में पहली बार मंत्री बने हैं। इसीलिए वे भाजपा संगठन की बरेली मंडल के 20 विधायकों में सबसे पहली पसंद थे। डॉ. अरुण कुमार सक्सेना एमबीबीएस हैं। लगातार तीसरी बार उन्होंने जीत हासिल की थी। उन्होंने भी दिग्गजों को पछाड़कर सभी को सरप्राइज किया।
4-रजनी तिवारी: भाजपा में कई दिग्गज ब्राह्मण चेहरों को पछाड़कर जीत हासिल की
रजनी तिवारी हरदोई की शाहाबाद सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं। पति के निधन के चलते वह राजनीति में आईं। 2017 में बसपा छोड़कर रजनी तिवारी ने भाजपा की सदस्यता ली थी। भाजपा में कई दिग्गज ब्राह्मण चेहरे को पछाड़कर उन्होंने जीत हासिल की है।
5-दयाशंकर मिश्र दयालु : काशी से जुड़े होने का फायदा मिला
पीएम के संसदीय क्षेत्र काशी के रहने वाले दयाशंकर मिश्र 'दयालु' को भी योगी कैबिनेट में जगह मिली है। उनको राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद मिला है। इनके नाम पर कभी कहीं चर्चा नहीं हुई। वाराणसी से पिछली योगी सरकार में मंत्री रहे नीलकंठ तिवारी को ड्रॉप किया गया। ऐसे में दयालु को जगह मिल गई। इससे पहले उनको पूर्वांचल विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था। बताया जाता है कि पीएम मोदी की टीम के खास मेंबर हैं।
अब 5 उन नामों की बात, जिनका मंत्रिमंडल में शामिल न होना चौंकाने वाला रहा...
1- राजेश्वर सिंह: नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ा, फिर भी जगह नहीं
राजेश्वर सिंह ने चुनाव से ठीक पहले ही ईडी की नौकरी छोड़ी। वह जॉइंट डायरेक्टर के पद पर थे। नौकरी छोड़कर भाजपा ज्वाइन की। प्रदेश की सबसे हॉट सीट सरोजनीनगर से चुनाव जीता। उनका मुकाबला सपा के पूर्व मंत्री और अखिलेश के करीबी अभिषेक मिश्र से था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी राजेश्वर करीबी है। उनको मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। सियासी पंडित जीत के बाद से ही राजेश्वर के मंत्रिमंडल में शामिल होने का कयास लगा रहे थे।
2- श्रीकांत शर्मा: मथुरा से जीते, फिर भी जगह नहीं मिली
श्रीकांत शर्मा योगी की पहली कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री थे। श्रीकांत यूपी राजनीति का बड़ा नाम हैं। उनके काम की भी काफी तारीफ हुई। धार्मिक नगरी मथुरा से चुनाव जीता। बावजूद इसके उनको जगह नहीं मिली। जबकि उनको डिप्टी सीएम तक बनाए जाने की चर्चा थी। उनको मंत्रिमंडल में जगह क्यों नहीं मिली? यह बात किसी को समझ में नहीं आ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा उनको संगठन में ले जाएगी। हालांकि, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।
3-सतीश महाना: 8वीं बार जीते, फिर भी जगह नहीं बना पाए
पिछली योगी कैबिनेट में शामिल थे। 8वीं बार चुनाव जीता था। फिर भी इस बार उनको मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं। परिवार संघ से जुड़ा रहा है। महाना की विवादित और कट्टर नेता की छवि रही है। महाना को जगह न मिलना भी सियासी जानकारों की समझ से परे है।
4- अपर्णा यादव: घर और परिवार से बगावत काम न आई
मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने न सिर्फ परिवार से बल्कि पार्टी से बगावत करके भाजपा में आई थीं। चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा का खूब प्रचार भी किया था। पीएम मोदी के रोड शो के दौरान वाराणसी भी गईं थीं। चुनाव में भाजपा की जीत पर योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके उनको मिठाई भी खिलाई थी। सिर्फ यही नहीं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में अपर्णा के पोस्टर अटे पड़े थे। ऐसे में उनका नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल न होना बड़ा सरप्राइजिंग है।
5- आशुतोष टंडन: पार्टी के थिंक टैंक, बावजूद इसके जगह नहीं
आशुतोष टंडन योगी की पिछली सरकार में नगर विकास मंत्री रहे। लेकिन, इस बार उनको जगह नहीं मिली। आशुतोष, वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के बेटे हैं। आशुतोष टंडन की यूपी में पंजाबी समाज में अच्छी पकड़ है। मध्य लखनऊ में जातीय समीकरण साधने से लेकर पार्टी के थिंक टैंक की भूमिका अदा करते हैं। प्रदेश भर की कारोबारी लॉबी में उनकी अच्छी पैठ है। ऐसे में उनको जगह न मिलना भी सरप्राइजिंग रहा है।
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