Home Ministry: टारगेट किलिंग करने वालों का होगा The End ! गृह मंत्रालय में दो घंटे चला कश्मीर पर मंथन - Everything Radhe Radhe

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Saturday, 4 June 2022

Home Ministry: टारगेट किलिंग करने वालों का होगा The End ! गृह मंत्रालय में दो घंटे चला कश्मीर पर मंथन

 

J&K Target Killing: टारगेट किलिंग मामले में तेजी बरतते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ताबड़तोड़ बैठकें कीं. इस बैठक में NSA अजित डोभाल, रॉ चीफ, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा और आर्मी चीफ मनोज पांडे मौजूद रहे. 

Home Ministry: टारगेट किलिंग करने वालों का होगा The End ! गृह मंत्रालय में दो घंटे चला कश्मीर पर मंथन

J&K Target Killing: जम्मू-कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग के मामले में आज गृह मंत्रालय में 2 घंटे बैठक चली. इस बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई. फिलहाल कश्मीर का माहौल ऐसा है कि चुन-चुनकर कश्मीरी पंडित, गैर-कश्मीरी हिंदुओं और कुछ मुस्लिमों की हत्याएं की जा रही हैं. बता दें कि घाटी में इस साल अब तक 18 टारगेट किलिंग हो चुकी हैं और बीते 3 दिनों में 3 हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है. 

हरकत में आया गृह मंत्रालय

इस मामले में तेजी बरतते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ताबड़तोड़ बैठकें कीं. इस बैठक में NSA अजित डोभाल, रॉ चीफ, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा और आर्मी चीफ मनोज पांडे मौजूद रहे. बैठक में टारगेट किलिंग से निपटने की रणनीति के साथ-साथ अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर भी मंथन हुआ. टारगेट किलिंग के खिलाफ तो प्लान तैयार भी कर लिया गया है.

कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामलों में तेजी

बता दें कि कश्मीर में शांति प्रक्रिया सुचारू रूप से चलने पर हताश आतंकी निर्दोष और बाहरी लोगों की हत्या कर रहे हैं. सरकारी सूत्रों की मानें तो ये सब जल्दी ही थम जाएगा. 

बड़े हमले नहीं कर पा रहे आतंकी

गृह मंत्रालय का मानना है कि कुछ देश जो आतंक की दुकान चला रहे हैं वो अब हाई प्रोफाइल टारगेट पर हमले नहीं कर पा रहे हैं. इस हताशा में वो ऐसी छोटी हरकत पर उतर आए हैं.

सरकार ने बनाया ये प्लान

सरकार ने बाहर से आए सरकारी कर्मचारियों का सुरक्षित स्थानों पर तबादला कर दिया है. लेकिन सूत्रों का मानना है कि हर किसी का तबादला जम्मू नहीं किया जा सकता. यह भी एक पहलू है कि घाटी से अल्पसंख्यकों को बाहर नहीं किया जा सकता. ऐसा करना आतंकियों के मंसूबों को पूरा करेगा. लगभग 5500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है.

बाहरी मजदूरों की ही हत्या क्यों?

सूत्र कहते हैं कि स्थानीय लोग मजदूरी नहीं करते. इसलिए वो कभी बाहर से आए मजदूरों को मारने का समर्थन नहीं करते हैं. इसमें घाटी के वो चंद लोग भी शामिल हैं जो कश्मीर को अपनी जागीर समझते रहे हैं. वो पहले भी तंत्र चला रहे थे और आगे भी अपनी ताकत बरकरार रखना चाहते हैं. ये जिहाद नहीं है.

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