नई दिल्ली. भारत में मंकीपॉक्स के 4 मामले सामने आने के बाद इस बीमारी को लेकर लोगों में चिंता है. मंकीपॉक्स के संक्रामक और वायरस जनित रोग होने के चलते इस बीमारी से बचाव और इलाज को लेकर भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान भी ऐलोपैथी के अलावा होम्योपैथी, नेचुरोपैथी और आयुर्वेदिक उपायों को काफी ज्यादा अपनाया गया था यही वजह है कि लोग मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर भी ऐलोपैथी के अलावा चिकित्सा की अन्य पद्धतियों में इलाज या बचाव के उपायों को लेकर जानना चाहते हैं.
होम्योपैथी (Homeopathy) की बात करें तो मंकीपॉक्स को लेकर सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी की पूर्व कंसल्टेंट और होम्योपैथी फिजिशियन डॉ. जैस्मिन सचदेवा कहती हैं कि मंकीपॉक्स, कोरोना या ऐसी ही और भी वायरस जनित बीमारियों का इलाज न केवल होम्योपैथी बल्कि चिकित्सा की अन्य पद्धतियों में भी नहीं है. हालांकि बीमारी होने पर ऐलोपैथी की तरह ही होम्योपैथी में भी मरीज के लक्षणों का इलाज किया जाता है. मंकीपॉक्स के लिए भी होम्योपैथी में कोई विशेष इलाज नहीं है.
डॉ. जैस्मिन सचदेवा कहती हैं कि मंकीपॉक्स में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द के अलावा चेहरे, मुंह के अंदर, हाथ, पैर, सीना, गुदा या शरीर के किसी भी अंग पर फफोलेनुमा फुंसियां जैसे लक्षण मरीज में दिखाई देते हैं. ऐसे में किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति की तरह होम्योपैथी में भी इन लक्षणों की ही दवा दी जाती है और तब तक इलाज किया जाता है जब तक कि मरीज के ये लक्षण पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते. आमतौर पर यह बीमारी 2 से 4 हफ्ते तक रहती है. इसके बाद यह ठीक हो जाती है.
डॉ. सचदेवा कहती हैं कि फिर भी मरीजों को सलाह दी जाती है कि जब तक उनके शरीर से फुंसियां या रेशेज पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, वे आइसोलेशन में ही रहें. इस दौरान अन्य लोग भी कोशिश करें कि वे मरीज के पास पूरी सावधानी से जाएं. कम से कम एक मीटर की दूरी रखें. मास्क पहनें और मरीज को भी पहनने को दें. मरीज के कपड़े, इस्तेमाल किए हुए बिस्तर, सामान को न छूएं. घर को और हाथों को सेनिटाइज करते रहें.
No comments:
Post a Comment