BJP MP Ravi Kishan: संसद के मॉनसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण बिल पेश करने को लेकर बीजेपी सांसद रवि किशन का एक बयान सामने आया है जिसको लेकर लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल कर दिया.
Monsoon Session: बीजेपी सांसद (BJP MP) रवि किशन (Ravi Kishan) जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Bill) को लेकर सोशल मीडिया (Social Media) पर ट्रोल हो गए हैं. दरअसल अभी संसद (Parliament) का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) चल रहा है. इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ये बिल बेहद जरूरी है. रवि किशन का इतना कहना था कि उनका ट्विटर (Twitter) ट्रोल कर दिया.
उन्होंने कहा कि हम विश्व गुरु तभी बन सकते हैं जब जनसंख्या नियंत्रण पर कानून आए. जनसंख्या को नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है वो विस्फोट की तरफ अग्रसर हो रही है. उन्होंने विपक्ष से अनुरोध करते हुए कहा कि विपक्ष एक बार बिल पेश करके इस पर चर्चा करे कि आखिर ये बिल लाना क्यों जरूरी है. रवि किशन का ये बयान आने के बाद उनको सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा.
4 बच्चों के बाप कर रहे जनसंख्या नियंत्रण की बात
जैसा कि पता है कि रवि किशन तीन बेटियों और एक बेटे के बाप हैं. इसी कारण से बीजेपी सांसद रवि किशन को सोशल मीडिया पर ये कहकर ट्रोल किया जाने लगा कि 4 बच्चों के बाप कर रहे जनसंख्या नियंत्रण की बात. एक यूजर ने लिखा कि आप 4 बच्चों के बाप हैं फिर भी जनसंख्या नियंत्रण कांनून पर व्याख्यान कर रहे हैं. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा कि अगर इसे पास कर दिया गया तो रवि किशन को 4 बच्चों में से 2 बच्चे चुनने पड़ेंगे.
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सरकार नहीं कर रही विचार
मंगलवार को केंद्र सरकार ने राज्यसभा (Rajyasabha) में स्पष्ट तौर पर कहा कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Bill) लाने पर कोई विचार नहीं कर रही है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार (Bhrati Pravin Pawar) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्र सरकार के इस रुख के बारे में यह जानकारी दी. पवार ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम (National Family Planning Program) को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, जो राष्ट्रीय जनसंख्या नीति (2000) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है, ताकि 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य के साथ परिवार नियोजन की अपूर्ण रह गयी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
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